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विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार परिसर में वाक्यार्थ परिषद सभा का आयोजन किया जाता है । इसके अंतर्गत प्राध्यापक संचालित वाक्यार्थ सभा में विद्यार्थियों के समक्ष एक आदर्श वाक्यार्थ प्रस्तुत करते हैं, जिसका मुख्य उद्देश्य छात्रों में वाक्यार्थ प्रस्तुति करण के कौशलों का विकास करना तथा शास्त्रीय ज्ञान का संवर्धन करना होता है । वाक्यार्थ सभा के आयोजन एक शैक्षणिक सत्र में निर्धारित समय पर किये जाते हैं । वाक्यार्थ परिषद में प्राध्यापक किसी विशेष शास्त्रीय अवधारणा को प्रस्तुत करते हैं, जिसके पश्चात् विचार-विमर्श, प्रश्नोत्तर सत्र का अवसर प्रदान किया जाता है । इस आयोजन में प्राध्यापकों तथा विद्यार्थियों द्वारा जिज्ञासाएं प्रकट की जाती हैं अथवा प्रश्न पूछे जाते हैं तथा व्याख्यान कर्ता किए गये प्रश्नों तथा जिज्ञासाओं का समाधान करते हुए अपनी वाक्यार्थ प्रस्तुति करता है । इस प्रकार छात्रों में वाक्यार्थ कौशलों तथा प्रश्नकरण कौशलों का विकास होता है । यह विधा परम्परागत शास्त्रीय अध्ययन का सार तत्त्व माना जाता है । परिषद की कार्यवाही, विद्वानों द्वारा प्रस्तुत सारगर्भित विषयों तथा अन्य विद्वानों के शोधपूर्ण लेखों को प्रति वर्ष विश्वविद्यालय अनुदान द्वारा प्रतिष्ठित परिसरीय पत्रिका (UGC. Care Listed journal) “वाक्यार्थ भारती” नामक शास्त्रीय पत्रिका में प्रकाशित किए जाते हैं ।
परिसर में शास्त्रों के प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा विस्तार व्याख्यानों (एक्सटेंशन लेक्चर्स) की श्रृंखला आयोजित की जाती है। इन व्याख्यानों के विषय अंतर्विषयक प्रकृति के होते हैं, जिससे शास्त्रीय अवधारणाओं पर विभिन्न दृष्टिकोणों का परिचय एवं विमर्श किया जाता है। इसके द्वारा शास्त्रीय प्रमेय अथवा शास्त्रीय सिद्धान्तों की सम्यक अवधारणाएं विकसित करने में सहायता मिलती है । इस प्रकार प्रत्येक शैक्षणिक वर्षों में व्याकरण, साहित्य, मीमांसा, न्याय, अद्वैत वेदांत, फलित ज्योतिष तथा शिक्षा-शास्त्र विषयों पर कुल छह व्याख्यान मालाएं आयोजित किए जाते हैं। विद्वानों द्वारा दिए गए इन व्याख्यानों को विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों के हित के लिए पुस्तक रूप में प्रकाशित किया जाता है।
वाग्वर्धिनी परिषद परिसर के विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक तथा विभिन्न सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों के सर्वांगीण विकास का एक मंच है। यह मंच संकाय सदस्यों के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों के प्रतिनिधियों द्वारा संचालित किया जाता है। यह परिषद प्रत्येक गुरुवार को आयोजित की जाती है, जिसमें विद्यार्थियों को शास्त्र, संस्कृति आदि क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा को व्यक्त करने एवं प्रदर्शित करने का अवसर प्राप्त होता है।
परिसर की स्थापना का मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय शास्त्रों का संरक्षण एवं प्रसार करना है। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कुलपति महोदय ने एक पारंपरिक शास्त्रार्थ सभा के आयोजन के प्रस्ताव की स्वीकृति प्रदान की है, जो शास्त्रीय परंपरा एवं शास्त्रीय ज्ञान के संरक्षण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है । यह सभा प्रत्येक दो वर्षों में एक बार परिसर में श्री श्री श्री भारती तीर्थ महास्वामी शास्त्रार्थ सभा के तत्वावधान में आयोजित की जाएगी । इसके आयोजन की रूपरेखा तैयार की जा रही है तथा देश के विभिन्न भागों से विद्वानों को इस सभा में आमंत्रित किया जाएगा।